भारत में कोरोना वायरस को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट लगातार केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को फटकार लगा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाने और वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट का कहना है कि केंद्र अभी खुद 50 फ़ीसदी वैक्सिंग खरीदता है। बाकी 50 फीसदी निर्माता कंपनी सीधे राज्य सरकारों और निजी संस्थानों को देती है। ऐसे में आपके पॉलिसी पर विचार कीजिए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। कोर्ट में जस्टिस ने कहा कि यह संविधान में दिए गए जनता के जीने के अधिकार है। जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार सभी के लिए है। लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं।
मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की हिदायतें
1. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि कमजोर तबके के लोगों को भी आपको ध्यान रखना है। जरूरत की चीजों को पूरी तरह से ध्यान रखिएगा।
2. कोर्ट ने कहा कि मरीजों का इलाज किया जाए। अस्पताल लोकल आईडी पहचान पत्र के नाम पर मरीज को भर्ती करने या जरूर दवाएं देने से मना नहीं कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ नेशनल पॉलिसी पर भी विचार करने के लिए कहा गया है। इस पॉलिसी को सभी राज्यों को मानना होगा।
3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा है। वैक्सीन निर्माताओं से दामों पर मोलभाव करें। साथ ही किस तरह से वैक्सीन को अलॉटमेंट करना है और उसे डिस्ट्रीब्यूट करना है। यह भी केंद्र सरकार तय करें। कोर्ट ने कहा कि सारी वैक्सीन खुद खरीदे और इसके बाद वह वैक्सीन राज्य सरकारों को दें। कोर्ट ने कहा था कि निजी मैन्युफैक्चरर्स ये तय नहीं करेंगे कि किसे, कितनी वैक्सीन दी जाए। उन्हें इसकी आजादी न दी जाए।
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