एक ओर सरकार ने लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने कोरोना कर्फ्यू लगा रखा है वहीं खरीदी केंद्रों पर किसानों को अपनी उपज तुलवाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। खरीदी केंद्र पर पसरी अव्यवस्थाओं से अन्नादाता परेशान है। जबकि उपार्जन शुरू होने के पहले प्रशासन ने बड़े-बड़े दावे किए थे।
निरीक्षण के लिए अधिकारी भी नियुक्त किए थे, लेकिन खरीदी शुरू होते ही हर जगह दावों की पोल खुल रही है और प्रशासन किसानों को सहूलियत से अपना अनाज बेचने की सुविधा तक नहीं दे पा रहा है। बदरवास खरीदी केंद्रों पर जब नईदुनिया ने जाकर हालात देखे तो हर ओर अव्यवस्थाएं ही अव्यवस्थाएं थीं। किसान एक दिन पहले आकर यहां खड़े हुए हैं, लेकिन तुलाई के लिए उनका नंबर नहीं लग पा रहा है। एक ओर अनाज बेचने की मजबूरी है तो दूसरी ओर मन में संक्रमण का डर भी क्योंकि यहां पर कोरोना गाइडलाइन का कहीं नाम-ओ-निशान ही नहीं है। जबकि किसानों को फसल लाने के लिए कई दिन पहले ही मैसेज प्राप्त हो चुके हैं। अव्यवस्थाओं के बीच भी किसान अपनी फसल बेचने और एक दिन से ज्यादा भूखा प्यासा इंतजार करने मजबूर है क्योंकि पूरे साल भर इसी से उसे अपना घर भी चलाना है और अगली फसल भी करना है।
बीते बर्ष का भुगतान न होने से कई किसानों ने नहीं कराया पंजीयन
पिछले साल सोसाइटी पर अनाज तुलवाने के एक वर्ष बीतने के बाद भी कई किसानों के खाते में राशि नहीं आई है। इसके चलते कई किसानों ने पंजीयन नहीं करवाया है। बामौर निवासी सीताराम केवट का कहना है कि हमने मसूर बेची थी जिसका भुगतान आज तलक नहीं किया जा सका है। एक ओर अव्यवस्थाएं हैं तो दूसरी ओर समय से रुपये भी नहीं मिल पा रहे हैं।
इनका कहना है
हमें मैसेज चार से पांच दिन पहले मिल गया था कल से आकर नंबर लगाए हैं अभी तक अनाज तुलवाने का नंबर नहीं आया।
- लाखन सिंह यादव, किसान, सींघन।
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हम तो कल सुबह से इंतजार कर रहे हैं अभी तक हमारा नंबर नहीं आया ना किसानों को पानी की व्यवस्था न टेंट हैं न सैनेटाइजर हैं। सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है अगर कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति यहां आ जाता है तो किसान भी संक्रमित हो जाएंगे, लेकिन यहां पर कोई सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं किए गए।
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