चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को ताइवान मुद्दे को लेकर अमेरिका को अंजाम भुगतने की धमकी दी है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्वीट कर ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को दूसरे कार्यकाल की बधाई दी थी. इसी ट्वीट को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर नाराजगी जाहिर की है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ताइवान क्षेत्र की स्थिरता और शांति के साथ-साथ अमेरिका-चीन के संबंधों को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है. चीन ने कहा कि वह इसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेगा और अमेरिका को इसका अंजाम जरूर भुगतना पड़ेगा.
दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को ट्वीट किया था, "ताइवान की राष्ट्रपति के तौर पर दूसरे कार्यकाल के लिए डॉ. साई इंग वेन को बधाई. ताइवान का फलता-फूलता लोकतंत्र पूरी दुनिया और क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है. राष्ट्रपति साई के नेतृत्व में ताइवान के साथ हमारी साझेदारी और मजबूत होगी."
चीन 1949 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से ही ताइवान पर अपना दावा करता आया है. एक ओर जहां ताइवान खुद को स्वतंत्र और संप्रभु मानता है, वहीं चीन हॉन्ग कॉन्ग की तरह इस पर 'एक देश, दो व्यवस्था' लागू करना चाहता है. चीन यहां तक कह चुका है कि जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक ताइवान पर कब्जा किया जा सकता है. यही वजह है कि जब भी कोई देश ताइवान का समर्थन करता है तो चीन उसे धमकाने लगता है.
साई इंग वेन ताइवान को एक संप्रभु देश के तौर पर देखती हैं और वह दोहराती रही हैं कि ताइवान 'वन चाइना' का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा, "हम 'एक देश, दो व्यवस्था' वाली दलील के नाम पर चीन का अधिपत्य नहीं स्वीकार करेंगे जिसमें ताइवान का स्टेटस कम कर दिया जाएगा.
साई ने अपने पद की शपथ लेने के बाद दिए भाषण में कहा, हमने कब्जे और आक्रामकता के दबाव का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया है. हम तानाशाही से लोकतंत्र की तरफ आगे बढ़े हैं. एक वक्त था जब हम पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ गए थे लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद हमने हमेशा लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों को संजोए रखा. साई के इस बयान के बाद चीन की तरफ से भी तुरंत प्रतिक्रिया आई. चीन ने कहा कि वह ताइवान की 'आजादी' के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगा.
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