लॉकडाउन खत्म होने के बाद सामाजिक शिष्टाचार में एक बड़ा बदलाव आएगा. अब जबकि भारतीय अपनी सामान्य जिंदगी में लौटने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में उनके व्यवहार में बदलाव आना निश्चित है. मेल-जोल के तरीके पहले जैसे नहीं रहेंगे. अभिवादन के तरीके पूरी तरह बदले होंगे. जैसे, अब दफ्तर में अपने सहयोगियों से हाथ मिलाना या फिर हफ्तों बाद अपने किसी दोस्त से मिलने पर गले लगना आश्चर्य का विषय होगा.
हमेशा के लिए न सही पर कुछ समय के लिए तो मास्क, दस्ताने, हाइ-फाइ और तीन मीटर की सामाजिक दूरी बनाना हमारे सामाजिक व्यवहार का हिस्सा रहेंगे. हाथ मिलाना, हाइ-फाइ, गले लगना और मुस्कान यह सब फिलहाल हमारी जिंदगी से नदारद रहेंगे. जब भी हम किसी नए व्यक्ति से मिलेंगे या फिर अपने दोस्तों से दोबारा मुलाकात करेंगे तो वायरस का खौफ हम पर हावी रहेगा. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ न्यूरो साइंसेज (निमहैन्स) में मनोवैज्ञानिक डॉ. मनोज शर्मा कहते हैं, '' देश ही क्यों पूरी दुनिया का न्यू नॉर्मल अब बिल्कुल अलग होगा. कोरोना संकट से उबरने के बाद भी लोग सालों इस त्रासदी के असर को नहीं भूलेंगे. सामाजिक दूरी अब लोगों की जिंदगी का हिस्सा होगी. अपने बच्चों को लोग बाकायदा यह सिखाएंगे की वे अपने बड़ों के पैर छूने की जगह उन्हें नमस्ते करें, अब बच्चों को गले लगाकर प्यार-दुलार करने पर लोग एतराज करेंगे.''
मनोवैज्ञानिक ऋतिका छाबड़ा कहती हैं, '' लंबे समय से लॉकडाउन में रह रहे लोग इसके खुलने के बाद एक दूसरे मिलकर तो खुश होंगे, लेकिन वे समाजाकि दूरी के मानक का पूरा ध्यान रखेंगे. आप देखेंगे कि जब लंबे समय के बाद आप किसी अपने से मिलेंगे तो वह गर्मजोशी नहीं होगी जो पहले हुआ करती थी. कहीं न कहीं यह संदेह और चिंता आपके भीतर रहेगी कि आप जिससे मिल रही/ रहे हैं कहीं वह संक्रमित तो नहीं.''
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