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इंदौर में 11 डॉक्टर-नर्स संक्रमित, फिर भी 150 डॉक्टर रोज 16 घंटे काम कर रहे; यह युद्ध है और इस बार यूनिफॉर्म का रंग नीला है

इंदौर. इंदौर में कोरोना के 1085 मरीज मिल चुके हैं। तीन कैटेगरी के अस्पतालों में डॉक्टर संक्रमण के खतरे के बीच इनका इलाज कर रहे हैं। फिर भी जज्बा ऐसा कि कई डॉक्टरों ने तो मरीजों का इलाज करने की खातिर घर ही छोड़ दिया। कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम माेर्चे के ये सिपाही किस तरह संघर्ष कर रहे हैं, यह अनुभव करने के लिए भास्कर फोटो जर्नलिस्ट ओपी सोनी ने कुछ डॉक्टरों के साथ सुबह से रात तक एक दिन बिताया।

2 डॉक्टरों की हो चुकी है मौत

  • 150 डॉक्टर शहर में रेड, यलो कैटेगरी के 17 अस्पतालों में रोज कोरोना के मरीजों के इलाज में जुटते हैं।
  • 100 डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के हैं, जो मरीजों का इलाज करने के लिए घर छोड़कर दूसरी जगह ठहरे हैं।
  • 04 डॉक्टर, 5 नर्स और 2 टेक्निशियन भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।
  • 02 डॉक्टरों की मौत हो चुकी हैं, शहर में कोरोना के कारण।
  • 80%  डॉक्टरों ने छुट्टी नहीं ली है, जो कोरोना से निपटने वाली टीम में हैं।

हॉस्टल में पीपीई पहना

ये हैं अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में एनेस्थेसिया एचओडी डॉ. साधना संवत्सरकर। कोरोना के मरीजों के लिए घर छोड़ कॉलेज के हॉस्टल में रह रही हैं।

अस्पताल पहुंच अपडेट लिया

वे सुबह सात बजे ही कोरोना आईसीयू का राउंड लेने निकल जाती हैं। वहां मरीजों को देखने के बाद उनकी स्थिति को लेकर अन्य डॉक्टरों से चर्चा करती हैं। सवा आठ बजे तक राउंड लेकर हॉस्टल लौट जाती हैं। नहाकर ब्रेकफास्ट करती हैं। फिर कॉलेज निकल जाती हैं।

डॉ. साधना हॉस्टल में लौटने के बाद अपनी डेंटिस्ट बेटी गौरी को वीडियो कॉल करती हैं। वे दिन में दो बार उससे बात करती हैं। बेटी ने ही हॉस्टल में रहने के लिए उनका हौसला बढ़ाया था।

    39 डिग्री में पीपीई किट में रहना, मरीज की हर सांस के लिए लड़ना

    शहर में कोरोना के सबसे ज्यादा करीब 425 मरीज अरबिंदो अस्पताल में भर्ती हैं। इनका इलाज लगभग 400 डॉक्टर कर रहे हैं। इनमें से रोज 15-20 की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगाई जाती है।

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