छत से गिरी महिला को लेने पहुंची 108 को ग्रामीणों ने सीमा पर रोका, तीर दिखाकर छीनी चाबी, बोले- बीमारी फैलाने आए हो
झाबुआ. जिले में पहला कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद ग्रामीणों में खौफ है। ग्रामीणों ने अपनी गांवों की सीमाओं को कांटे, पत्थर, लकड़ियाें और अन्य सामान रखकर सील कर दिया है। गांव में किसी काे भी आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीण 24 घंटे सीमा पर पहरेदारी कर रहे हैं। सुरक्षा के लिहाज से कांटे भी रख रखे हैं, लेकिन ये एहतियात ही लाेगाें के लिए परेशानी बन रही है। क्याेंकि ग्रामिणों ने इमरजेंसी सेवा देने वालों का भी रास्ता रोकना शुरू कर दिया है।
गांवों में 108 एंबुलेंस को भी घुसने नहीं दिया जा रहा है। मरीजों को लेने पहुंच रही एंबुलेंस के कर्मचारियों से ग्रामीण दुर्व्यवहार कर रहे हैं। उन्हें फलिया, लठ्ठ और तीर कामठी से डराया, धमकाया जा रहा है। बीते दो दिन में 108 के कर्मचारियों के साथ इस तरह की चौथी घटना हो चुकी है, जिससे कर्मचारियों में भय का माहौल बना हुआ है। पायलेट और ईएमटी का कहना है कि हम किसी की मदद करने जाते हैं और हमसे इस तरह का बर्ताव किया जाता है। यहां तक की हथियार दिखाकर जान से मारने तक की धमकी दे दी जाती है। ताजा मामला शनिवार रात का ही है। 108 के क्लस्टर लीडर बलवंत बघेल के अनुसार शनिवार रात करीब 10 बजे आलीराजपुर के कउठू गांव से एक कॉल 108 को मिला था। महिला काली पति केकड़िया (65) छत से गिरकर घायल हो गई थी। एंबुलेंस पहुंची तो गांव वालों ने सीमा पर रोक लिया। तीर कामठी दिखाकर गाड़ी की चाबी छीन ली। ग्रामीणों ने एंबुलेंस के कर्मचारियों से कहा- हमारे गांव में बीमारी फैलाने आए हो। मामले में एसपी विपुल श्रीवास्तव ने कहा कि हम पेट्रोलिंग कर कांटे हटवा रहे हैं।
एम्बुलेंस के पायलेट ने मरीज के परिजन से बात कराई फिर भी नहीं माने
बघेल ने बताया कि इस तरह की घटनाएं रोज हो रही है। पायलेट और ईएमटी ने घायल मरीज के परिजन से भी बात कराई। तब भी ग्रामीण नहीं माने। कुछ देर बाद परिजन का फोन आया और उन्होंने दूसरा रास्ता बताया, हम उस रास्ते से किसी तरह मरीज तक पहुंचे। मरीज को लेकर वापस आए तो गांव वालों ने फिर रोक लिया। घायल महिला आधे घंटे तक तड़पती रही। गांव वालों ने एंबुलेंस में उसे देखा तब किसी तरह एंबुलेंस वहां से निकली।
जिले में ये घटनाएं भी हुईं
- रविवार सुबह 11 बजे उंडवा से एक कॉल पॉयजन का आया था। एंबुलेंस मरीज को लेने पहुंची, लेकिन गांव की सीमा पर कांटे लगे हुए थे। मरीज के परिजन को फोन कर पायलेट ने सीमा पर आने को कहा वो किसी तरह मरीज को लेकर वहां निकल पाया।
- रविवार दोपहर 12 बजे नानपुर के सोलिया गांव से डिलीवरी केस के लिए फोन आया था। एंबुलेंस पहुंची लेकिन सीमा के भीतर नहीं जाने दिया। परिजन महिला को सीमा तक लेकर आए।
- जोबट में शनिवार रात मेडिकल केस था। पूरे रोड पर कांटे लगे हुए थे। रात में कोई नहीं था। इसलिए कांटे हटाकर 108 वाले अंदर पहुंचे और मरीज को लेकर अस्पताल आए।
108 पर रोजाना आते हैं 70 से 80 कॉल, अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से ही होते हैं
क्लस्टर लीडर बघेल ने बताया 108 और जननी पर रोजाना करीब 70 से 80 कॉल आते हैं। अधिकतर मामले ग्रामीण क्षेत्रों के ही होते हैं। कई बार रात में भी केस लेने जाने पड़ता है। ऐसे में यदि कोई घटना होती है तो क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि अब ऐसा होने पर अभद्रता करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ केस करेंगे।
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