दिल्ली में कोरोना से मौत का पहला मामला सामने आ चुका है। शुक्रवार को 69 वर्षीय महिला की मौत दिल्ली में हुई थी। शनिवार को जब बुजुर्ग महिला का परिवार उसका अंतिम संस्कार करने के लिए निगम बोधघाट पहुंचा तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों के साथ नहीं होने की वजह से महिला का अंतिम संस्कार होने से रोक दिया गया। करीब 40 मिनट तक परिवार को शव का दाह संस्कार करने के लिए इंतजार करना पड़ा। इसके बाद निगम के डॉक्टरों के निगम बोध घाट पहुंचे तो सीएनजी शवदाह गृह पर महिला का अंतिम संस्कार हो सका।
दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि कोरोनोवायरस शवों के माध्यम से नहीं फैल सकता है। यह श्वसन स्राव से फैलता है। इस वायरस के प्रसार के लिए खांसी जरूरी है। इसलिए संक्रमित शरीर का अंतिम संस्कार करने में कोई जोखिम नहीं है।
वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया है कि लोगों को डर लगता है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार से संक्रमण हवा में फैल जाएगा ऐसे नहीं है। अंतिम संस्कार करने में कोई दिक्कत नहीं है। मृत्यु के बाद कोरोना वायरस नहीं फैला सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली की बुजुर्ग महिला कोरोना वायरस से संक्रमित अपने बेटे के संपर्क में आई थी, जिसने पांच से 22 फरवरी के बीच स्विट्जरलैंड और इटली की यात्रा की थी। वह 23 फरवरी को भारत लौटा था। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, कोरोना वायरस से संक्रमित महिला राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थीं।
कोरोना से मरने वाले पहले शख्स को थी गंभीर बीमारियां
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले कर्नाटक के बुजुर्ग पहले से काफी बीमार थे। उन्हें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा और अपेंडिक्स की समस्या थी। डॉक्टरों के मुताबिक, इससे यह बात एक बार फिर स्पष्ट हो गई है कि कोरोना का संक्रमण उन लोगों के लिए ही जानलेवा साबित हुआ है जो स्वस्थ नहीं थे। 76 वर्षीय बुजुर्ग 29 फरवरी को सऊदी अरब से धार्मिक यात्रा करके लौटे थे और तीन दिन पहले उनकी मौत हो गई। चिकित्सा अधिकारियों के मुताबिक, सऊदी अरब से लौटने के बाद सांस लेने में परेशानी, खांसी और निमोनिया की शिकायत हुई जिसके बाद छह मार्च को एक डॉक्टर ने उनके घर पर ही इलाज किया। स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद नौ मार्च को उन्हें कलबुर्गी के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में 10 मार्च को जब उन्हें कलबुर्गी के गुलबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस एंड हॉस्पिटल लाया जा रहा था रास्ते में उनकी मौत हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि आम तौर पर मौत के कारणों की जांच का पता लगाने के लिए पोस्टमॉर्टम का सहारा लिया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं होगा क्योंकि शव को तुरंत दफना दिया गया है।
80 फीसदी जान गंवाने वाले मरीज की उम्र 60 साल के पार
23 फीसदी कुल आबादी का हिस्सा इटली में बुजुर्गों का। यहां सबसे ज्यादा मौत बुजुर्गों की
30 साल से कम उम्र के लोगों के कोरोना वायरस से मरने की दर सबसे कम
01 बुजुर्ग व्यक्ति (कर्नाटक के कलबुर्गी के रहने वाले)की मौत हो चुकी है भारत में
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